हर ट्रेड के लिए एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स निर्धारित करने का तरीका

राजेश पालशेतकर
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 जब आप ट्रेडिंग करते हैं, तो एंट्री (Entry) और एग्जिट (Exit) पॉइंट्स का निर्धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। ये पॉइंट्स आपके लाभ और नुकसान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। एक स्पष्ट और व्यवस्थित योजना बनाना ट्रेडिंग को अधिक रणनीतिक और कुशल बनाता है।

1. एंट्री पॉइंट (Entry Point)

एंट्री पॉइंट वह बिंदु है, जब आप किसी परिसंपत्ति (जैसे, स्टॉक, फॉरेक्स, क्रिप्टो) को खरीदने का निर्णय लेते हैं। यह बिंदु तब तय किया जाता है, जब मार्केट की स्थिति, तकनीकी संकेतक, और चार्ट पैटर्न आपके ट्रेडिंग प्लान के अनुसार सही होते हैं।

एंट्री पॉइंट निर्धारित करने के तरीके:

  • तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis): आप तकनीकी संकेतकों जैसे RSI (Relative Strength Index), MACD (Moving Average Convergence Divergence), SMA (Simple Moving Average), EMA (Exponential Moving Average) और सपोर्ट/रेसिस्टेंस लेवल्स का उपयोग कर सकते हैं।

एंट्री पॉइंट के उदाहरण:

  1. RSI (Relative Strength Index) का उपयोग:

    • जब RSI 30 के नीचे हो, तो इसका मतलब है कि स्टॉक ओवरसोल्ड है और इसमें बुलिश रिवर्सल की संभावना हो सकती है। यहां आप एंट्री पॉइंट निर्धारित कर सकते हैं।
    • एंट्री पॉइंट: RSI 30 के नीचे आने पर खरीदारी (बुलिश सिग्नल)
  2. SMA (Simple Moving Average) का उपयोग:

    • जब 50-दिन SMA ऊपर की ओर जा रही हो और 200-दिन SMA को क्रॉस कर दे, तो इसे बुलिश क्रॉसओवर कहा जाता है, जो एक मजबूत बाय सिग्नल हो सकता है।
    • एंट्री पॉइंट: 50 SMA क्रॉस 200 SMA
  3. ब्रेकआउट स्ट्रेटेजी:

    • जब स्टॉक की कीमत किसी महत्वपूर्ण रेसिस्टेंस लेवल को तोड़ दे और उसके ऊपर ट्रेड हो, तो यह ब्रेकआउट के संकेत के रूप में काम करता है।
    • एंट्री पॉइंट: रेसिस्टेंस ब्रेक होने पर खरीदारी
  4. चार्ट पैटर्न (जैसे हेड एंड शोल्डर या डबल टॉप/बॉटम):

    • इन पैटर्न्स के ब्रेक होने पर भी आप एंट्री पॉइंट निर्धारित कर सकते हैं।
    • एंट्री पॉइंट: पैटर्न के ब्रेक होने के बाद

2. एग्जिट पॉइंट (Exit Point)

एग्जिट पॉइंट वह बिंदु है, जब आप किसी परिसंपत्ति को बेचने का निर्णय लेते हैं। यह बिंदु तब तय किया जाता है जब आपका लक्ष्य पूरा हो जाता है, या जब मार्केट आपके खिलाफ जाता है।

एग्जिट पॉइंट निर्धारित करने के तरीके:

  • स्टॉप लॉस (Stop Loss): यह एक रक्षा उपाय है, जो आपके नुकसान को एक सीमित राशि तक सीमित रखता है।
  • टार्गेट प्राइस (Target Price): यह वह स्तर है जहां आप लाभ लेने का निर्णय लेते हैं।

एग्जिट पॉइंट के उदाहरण:

  1. स्टॉप लॉस और टार्गेट प्राइस:

    • उदाहरण: मान लीजिए आपने किसी स्टॉक को ₹100 पर खरीदा और आपने 2% स्टॉप लॉस और 5% टार्गेट प्राइस तय किया।
    • स्टॉप लॉस: ₹98 (2% नीचे)
    • टार्गेट: ₹105 (5% ऊपर)
  2. RSI का उपयोग:

    • जब RSI 70 के ऊपर जाता है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक ओवरबॉट हो सकता है, और यह बेचने का संकेत हो सकता है।
    • एग्जिट पॉइंट: RSI 70 के ऊपर जाने पर बेचें
  3. ट्रेलिंग स्टॉप लॉस:

    • यह एक गतिशील स्टॉप लॉस होता है, जो जब स्टॉक ऊपर जाता है, तो स्टॉप लॉस को भी ऊपर खींचता है, ताकि आपका लाभ सुरक्षित रहे।
    • एग्जिट पॉइंट: स्टॉक की कीमत में 10% का लाभ होने पर, ट्रेलिंग स्टॉप लॉस को 5% पर सेट करें।
  4. मूल्य लक्ष्य (Price Target):

    • आप एक मूल्य लक्ष्य तय कर सकते हैं, जैसे कि यदि स्टॉक ₹100 पर खरीदा गया हो और आपका लक्ष्य ₹120 हो, तो आप लाभ के साथ बाहर निकल सकते हैं
    • एग्जिट पॉइंट: ₹120 पर टार्गेट पूरा होने पर बेचें

एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स के निर्णय के लिए एक वास्तविक उदाहरण:

चरण 1: एंट्री पॉइंट का चयन

  • आपने एक स्टॉक ₹200 पर खरीदा।
  • RSI 30 के नीचे है (ओवरसोल्ड), जो एक बुलिश सिग्नल है।
  • SMA (50) ऊपर की ओर जा रही है, और SMA (200) को क्रॉस कर रही है (बुलिश क्रॉसओवर)।
  • एंट्री पॉइंट: ₹200 पर खरीदारी करें।

चरण 2: एग्जिट पॉइंट का निर्धारण

  • आप 2% स्टॉप लॉस और 5% टार्गेट रखते हैं।
  • स्टॉप लॉस: ₹196 (2% नीचे)
  • टार्गेट: ₹210 (5% ऊपर)

चरण 3: मार्केट की स्थिति को ट्रैक करें

  • अगर स्टॉक ₹210 तक पहुंचता है, तो आप अपनी पोजीशन को बंद कर देंगे।
  • यदि स्टॉक ₹196 तक गिर जाता है, तो आपका स्टॉप लॉस सक्रिय हो जाएगा, और ट्रेड को बंद कर दिया जाएगा।

निष्कर्ष:

हर ट्रेड के लिए एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना बहुत ज़रूरी है। यह आपको जोखिम को नियंत्रित करने, लाभ को बढ़ाने, और भावनाओं को व्यापार से बाहर रखने में मदद करता है। तकनीकी संकेतक, चार्ट पैटर्न्स, और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों का पालन करके आप इन पॉइंट्स को सटीकता से निर्धारित कर सकते हैं।

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